Monday, March 15, 2010

Nepali Patro

NEPALI PATRO



Anuj

Histry Of Bhan Garh, Rajasthan


Vinod Srivastava says:
March 22nd, 2009 at 11:01 am
Hi All!!
Yesterday I visited the unseen part of Alwar district – Bhangarh. It is simply unbelievable! The place is located at a distance of around 90 kms from Alwar. Bhangarh was a mysterious town. The excavated city of Bhangarh is connected to Alwar via Sariska by a road where you can savor nature’s gift of beautiful surroundings.

There are no chronological evidences about the history of the town but it is said that Bhangarh was earlier a flourishing city. The king of Sindh wanted to avenge his embarrassment before the queen of Bhangarh, so he gave up his kingdom and started practicing black magic and other similar acts in Bhangarh. Later, the city was destroyed in the conflict between the queen of Bhangarh (Rani Ratnawati, as said by local people) and the erstwhile king of Sindh. It is believed that the entire city was destroyed overnight after the king of Sindh died cursing the city and its people.

Bhangarh is associated with a number of myths. It was believed that black magic prevailed in the entire area and who so ever went there did not come back. For this reason, the area was left barren for a long time. After the area was excavated and the ruins of the ancient town of Bhangarh emerged, the locals dropped the fear and started going to the place. Still, people believe that evil spirits and ghosts inhabit the town.

A number of temples belonging to various deities of Hindu religion are still located in the excavated town of Bhangarh. The main temples in the area belong to Lord Shiva, Lord Hanuman, Dev Narayan Ji, Bhairav Nath Ji, Someshwar Mahadev and Gopinath temple. Apart from these temples, the place also has a shrine of a Muslim saint called Sayeed Ji.

Do plan to visit the place. If require may ask me for further help at vkexpress@rediffmail.com
Happy tour!!

Sunday, March 14, 2010

वनडे में सचिन ने जमाया पहला दोहरा शतक

मास्टर के डबल ब्लास्ट में उड़ा दक्षिण अफ्रीका
Feb 24, 10:18 pm
बताएं



ग्वालियर। मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर [नाबाद 200] ने कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में इतिहास रचते हुए वनडे क्रिकेट में पहली बार दोहरा शतक लगाने का कारनामा कर दिखाया। उनकी इस ऐतिहासिक पारी की बदौलत भारत ने एकतरफा दूसरे वनडे मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 153 रन से हरा दिया। मेजबान टीम ने इस जीत से सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त बनाने के साथ ही वनडे रैंकिंग में दूसरा पायदान सुरक्षित रखा।
तेंदुलकर ने अपने स्ट्रोकों का शानदार नमूना पेश करते हुए करोड़ों दिलों को रोमांचित करने वाली नाबाद 200 रन की पारी खेली। इसके लिए उन्होंने 147 गेंद का सामना किया तथा 25 चौके और तीन छक्के लगाए। यह तेंदुलकर का न सिर्फ 46वां वनडे शतक है बल्कि वनडे क्रिकेट में सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी भी है। उन्होंने पाकिस्तान के सईद अनवर और जिंबाब्वे के चा‌र्ल्स कावेंट्री [दोनों 194] के रिकार्ड को तोड़ा। भारत के विशाल स्कोर में सचिन के अलावा दिनेश कार्तिक [79], कप्तान धौनी [नाबाद 68] और यूसुफ पठान [36] ने भी उपयोगी योगदान दिया। तेंदुलकर का इससे पहले सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 186 रन था जो उन्होंने 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में बनाया था। भारत ने पहले खेलते हुए निर्धारित 50 ओवरों में तीन विकेट पर 401 रनों की विशाल स्कोर खड़ा किया। दक्षिण अफ्रीका की पूरी पारी 42.5 ओवर में 248 रन पर सिमट गई। वनडे क्रिकेट में भारत ने तीसरी बार चार सौ रनों का आंकड़ा छुआ है जो अपने आप में एक रिकार्ड भी है। भारत ने दक्षिण अफ्रीका पर रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत के पिछले रिकार्ड की बराबरी की। इससे पहले उसने 2003 में ढाका में भी अपने इस प्रतिद्वंद्वी को क्भ्फ् रन से हराया था।
जवाब में दक्षिण अफ्रीका की शुरुआत बहुत ही खराब रही। हाशिल अमला [34] और हर्शल गिब्स [7] ने आते ही अपने तेवर दिखाने शुरू किए लेकिन तीसरे ओवर में ही प्रवीण कुमार ने इस जोड़ी को क्या तोड़ा कि विकेटों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया। मात्र 134 रन के स्कोर पर मेहमान टीम के छह बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे। भारतीय आक्रमण का सामना सिर्फ एबी डिविलियर्स [नाबाद 114] ही कर सके और एक छोर संभालते हुए शानदार शतक जमाकर अपनी टीम को छोटी से खुशी देने में सफल रहे। वान डर मार्वी [12], कप्तान जैक्स कालिस [11], एल्विरो पीटरसन [9], जेपी डुमनी [0], मार्क बाउचर [14], वायने पार्नेल [18] और डेल स्टेन [0] बल्लेबाजी के मुफीद पिच कुछ खास किए बगैर ही वापस लौट गए। भारत की ओर से एस श्रीसंथ सबसे सफल गेंदबाज रहे। उन्होंने तीन विकेट चटकाए। जबकि आशीष नेहरा, रविंदर जडेजा और यूसुफ पठान को दो-दो विकेट मिले।
इससे पूर्व सहवाग [9] के सस्ते में आउट हो जाने के बाद तेंदुलकर ने मोर्चा संभाला और शुरू से ही दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों पर हावी हो गए और उन्होंने छोटी बाउंड्री का पूरा फायदा उठाकर दनादन रन बटोरे। इस मास्टर ब्लास्टर के साथ चार्ल लांगवेल्ट भी इतिहास की किताब में नाम दर्ज करा गए क्योंकि इसी तेज गेंदबाज पर एक रन लेकर उन्होंने 200 रन के जादुई अंक को छुआ। तेंदुलकर ने अपनी यादगार पारी के दौरान कार्तिक के साथ दूसरे विकेट के लिए 194 रन की साझेदारी की जिन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली। उन्होंने अपनी पारी में 85 गेंद खेली तथा चार चौके और तीन छक्के लगाए। इन दोनों की साझेदारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की तरफ से नया रिकार्ड है। इससे पहले तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ ने 2000 में नागपुर में 181 रन की साझेदारी की थी।
सचिन ने पठान और धौनी के साथ भी बड़ी साझेदारियां करके दक्षिण अफ्रीकी आक्रमण की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने पठान के साथ तीसरे विकेट के लिए 81 और धौनी के साथ साथ नाबाद 101 रन जोड़े। धौनी ने सिर्फ 37 गेंदों पर सात चौके और चार छक्कों की मदद से 68 रन बनाए। इससे पहले सहवाग टीम को अच्छी शुरुआत नहीं दिला पाए। दूसरी गेंद पर ही स्टेन उनका नीचे रहता हुआ कैच हासिल नहीं कर पाए। सहवाग हालांकि इसका फायदा नहीं उठा पाए और पार्नेल की गेंद पर उन्होंने स्टेन को आसान कैच थमाया।
स्कोर बोर्ड
भारत 50 ओवर में तीन विकेट पर 401 रन
सहवाग का स्टेन बो पार्नेल 9
तेंदुलकर नाबाद 200
कार्तिक का गिब्स बो पार्नेल 79
पठान का डि विलियर्स बो मार्वी 36
धौनी नाबाद 68
अतिरिक्त: 9
विकेट पतन: 1-25, 2-219, 3-300।
गेंदबाजी
स्टेन 10-0-89-0
पार्नेल 10-0-95-2
मार्वी 10-0-62-1
लेंगवेल्ट 10-0-71-0
डुमिनी 5-0-38-0
कालिस 5-0-44-0
दक्षिण अफ्रीका 42.5 ओवर में 248 रन पर आउट
हमला का नेहरा बो श्रीसंथ 34
गिब्स बो प्रवीण 7
मार्वी का रैना बो श्रीसंथ 12
कालिस बो नेहरा 11
डिविलियर्स नाबाद 114
पीटरसन बो जडेजा 9
डुमनी एलबीडब्ल्यू पठान 0
बाउचर एलबीडब्ल्यू पठान 14
पार्नेल बो नेहरा 18
स्टेन बो श्रीसंथ 0
लागवेल्ट का नेहरा बो जडेजा 12
अतिरिक्त: 17
विकेट पतन: 1-17, 2-47, 3-61, 4-83, 5-102, 6-103, 7-134, 8-211, 9-216, 10-248।
गेंदबाजी
प्रवीण 5-0-31-1
नेहरा 8-0-60-2
श्रीसंथ 7-0-49-3
जडेजा 8.5-0-41-2
पठान 9-1-37-2
सहवाग 5-0-25-0
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रंगीन चूडि़यों का सच बताएं

मेरे सामने चित्रा आ जाती है। .. यूकलिप्टस के पेड की तरह चिकनी कलाइयां.. रंग, जैसे दूध में किसी ने सिंदूर घोल दिया हो।

मुझे चूडियां पहना दो।

आज तो संडे है चित्रा। तुम्हें पता है न कि यहां रविवार को दुकानें बंद रहती हैं।

प्लीज रवि.., हमारी बात मत ठुकराओ। ..

हमने जब कहानी की फरमाइश की, तुमने लिखी। हमने जब भी..। शर्म से सिर झुकाकर मेरे करीब आ जाती है वह। मुझे लगता है, भीनी-भीनी खुशबू वाली अगरबत्ती जल रही है.. सुगंध की बांहें मुझे घेर रही हैं। मैं कमजोर पडता जा रहा हूं। ऐसा क्यों होता है? मैं उसकी बात टाल नहीं पाता।

प्लीज रवि। वह आंखों से मुसकराती है। मैं सोचते हुए कहता हूं, चूडीघर वाला मेरा दोस्त है। मकान ऊपर, दुकान नीचे। अब उठो। चूडी क्या, किसी दिन ताजमहल बनवा दूंगा।

लेखक जी, जब शहंशाह हो, प्यार के साथ ही ब्लैक-मनी भी हो तो ताजमहल भले न बने, पैलेसनुमा घर जैसा कुछ बन जाता है।

बहुत बातें करती हो, अब चलो भी।

हम चूडियां यहीं पहनेंगे-तुमसे। दैट्स ऑल।

पागल हो गई हो? मैं चूडीवाला दिखता हूं? एक लंबी-सी मुस्क ान उसके चेहरे पर फैल जाती है, जैसे मासूम-सी बच्ची, स्लेट पर लंबी-सी लकीर खींच दे-यहां से वहां तक। हां, तुम्हारे प्यार में सचमुच पागल हो गए हैं, इसीलिए आग्रह कर रहे हैं।

मुझसे चूडियां टूट जाएंगी। हाथ में खरोंच पड सकती है।

पडने दो। खून निकल आए तो और अच्छा।

प्यार में बहा खून रंग लाता है।

मैं उसका चेहरा देखता हूं।

हमें देखने में टाइम वेस्ट मत करो। जाओ, चूडियां ले आओ। एक भी सलामत गई, तो हम समझेंगे।

क्या समझोगी?

यही कि तुम लेखन के साथ ही चूडियों की दुकान भी खोल सकते हो। दाल-रोटी मजे से चल जाएगी। वह भागती लहरों की तरह चंचल हंसी हंसती है।

मैं उठता हूं, तुम?

हम यहीं गंगा के किनारे तुम्हारा इंतजार करेंगे।

अरे, कहां चल दिए?

चूडियां लाने।

सचमुच, आदमी प्यार में पागल हो जाता है। लेखक जी, आपको साइज मालूम है मेरा? सवा दो इंच। और हां, साबुन भी लेकर आना। नहाने वाला-कपडा धोने वाला नहीं। वह फिर हंसती है। लंबी-सी हंसी। यहां से वहां तक फैली हुई हंसी।

मैं ढेर-सारी चूडियां लेकर आता हूं।

वह सीढी के करीब जाकर पानी में कलाइयां डुबो देती है। मुझे लगता है, यूकलिप्टस के पेड के इर्द-गिर्द बाढ आ गई है।

साबुन लगाकर वह कलाइयां मेरे सामने बढा देती है, अब पहना दो।

मैं एक पहनाता हूं। वह दूसरा हाथ बढा देती है।

फिर एक पहना देता हूं।

अब बस, एक भी टूट गई तो।

और आ जाएंगी।

नहीं रवि।

वह गंभीर आवाज में कहती है, तुम पुरुष हो न, इसलिए इसके टूटने का दर्द तुम्हें मालूम नहीं। चूडियां कलाइयों में आकर इतिहास बन जाती हैं, टूटकर महा-इतिहास। तब औरत को लगता है, कांच का इंद्रधनुष बिखर गया। कबूतर के उडने वाले पंखों में कीलें ठोंक दी गई। जैसे ईसा मसीह के हाथों में..।

एक लंबे अरसे के बाद चित्रा का खत आया है। इस शहर के बडे से कॉलेज में आकर, हम बहुत छोटे से हो गए हैं। यहां ढेरों पत्रिकाएं आती हैं। हर लेखक चुनाव को लेकर लिख रहा है। तुम्हारी खामोश कलम हमें रोज छोटा बना रही है। प्लीज अलमारी खोलकर हमें याद करना। विश्वास है, कहानी बन जाएगी।

मुझे खयाल आता है अपनी किताबों का। वह अलमारी के पास आई थी, तुम्हारी किताब मेरे तकिये के नीचे रहेगी तो उस बडे से कॉलेज-हॉस्टल में हम अकेले नहीं रहेंगे। उसने अलमारी खोली थी। चौंककर कहा, तुम तो चर्च जाते नहीं, बाइबिल पढते हो?

हां, सुबह उठने के बाद। रात, सोने से पहले। वह कुछ सोचती रही।

फिर उसने दोनों चूडियां उतारकर बाइबिल पर रख दीं, अब तुम रोज दो बार हमें याद करोगे। चूडियां हटाकर बाइबिल पढोगे। बाइबिल रख कर, उस पर चूडियां रखोगे। सॉरी यार, मैथ कमजोर है। तुम तो सुबह और रात, दो टाइम पढते हो। यानी तब चार बार याद करोगे।

मैं उठकर अलमारी के पास जाता हूं। धीरे से खोलता हूं। बाइबिल पर चित्रा की चूडियां रखी हैं। तभी बाहर से एक आवाज गूंजती है, हरी-पीली-लाल चूडियां।

मैं अलमारी बंद कर बरामदे में आता हूं। चूडी वाली, भाभी और छोटी भतीजी हैं। भैया शतरंज खेल रहे हैं, शह बचो प्रोफेसर सहाय।

प्रोफेसर नई चाल चलते हैं, तुम फंस गए। भाभी चूडी वाली से कहती हैं, उन्हें क्या देख रही है, मेरी बेटी को चूडियां पहना। लाल नहीं, काली पहना, नजर न लगे।

तभी भैया ठहाका लगाते हैं, अब तो तुम घिर गए प्रोफेसर सहाय।

चूडी वाली पूछती है, कौन हैं?

भाभी गर्व से कहती हैं, मुन्नी के बाबू। कारगिल-युद्ध में लडे थे। कई मेडल मिले हैं। बायां हाथ काटा गया। गोली लगी थी।

मैं भाभी को देखता हूं। वह आंचल से आंसू पोंछती है, चल, बच्ची को चूडी पहना।

चित्रा की चिट्ठियां आती रहीं। हर बार कलम उठाकर भी मैं कहानी नहीं लिख सका। चित्रा की फरमाइश बासी रोटी की तरह सूखकर कडी हो गई थी। इस घटना पर मैंने कहानी बुननी शुरू की। हमेशा की तरह अगरबत्ती जलाई, पानी रखा।

लिखते-लिखते पानी पीने की आदत है। एक बार चित्रा ने कहा था, आज मैं तुम्हारे पानी पीने का रहस्य जान गई। तुम काग्ाज की जमीन पर, कलम की कुदाली चलाते हो। ईमानदारी के शब्द बोते हो, फिर गिलास के पानी से सींचते हो, इसीलिए तुम्हारी कहानियों से मुहब्बत की फसल पैदा होती है।

प्लीज, डिस्टर्ब मत करो। तुम तो जानती हो, लिखते वक्त मैं एकांत चाहता हूं।

वह चली गई थी।

बाद में उसका पत्र आया कि पापा के साथ वह शिमला में गर्मी की छुट्टियां बिताकर आएगी। लिखा था, मैं यहां के रोमांटिक माहौल का मजा लूंगी। तुम मेरी चूडियों को याद कर, एक प्यारी लव-स्टोरी लिख कर रखना।

अचानक मुझे लगा, चित्रा करीब खडी है। पलटकर देखा, कोई नहीं है। हंसी आई। वह तो पराये शहर में है। उसकी फरमाइश बंद लिफ ाफेकी तरह जस की तस पडी है। मैं कलम उठाता हूं किवे यानी नेताजी आ जाते हैं, ये क्या हो रहा है?

कहानी लिखने जा रहा था..।

यह लिखने का नहीं, जीवन-मरण का प्रश्न है-युद्ध क्षेत्र में उतरना है। उन्होंने कहा।

मगर युद्ध तो कबका समाप्त हो गया।

भाई मेरे, लडाई में गोली चलती है। चौकियों पर कब्जे किए जाते हैं। तिरंगा लहराया जाता है। लाशें गिरती हैं और चुनाव में भी गोलियां चलती हैं, बूथ कैप्चर होते हैं, लाशें गिरती हैं। जीतने पर, अपने दल के झंडों के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। उस युद्ध और इस लडाई में बस जरा-सा फर्क है। वह युद्ध बाहर वालों से लडते हैं, यह लडाई अपने लोगों से लडते हैं।

जैसे झूठ और सच में जरा-सा फर्क होता है। झूठ की जेब भरी होती है, सच की खाली। लेकिन यह जरा-सा फर्क तब बडा बन जाता है, जब भरी जेब से बंगला बन जाता है।

वाह! इन्हीं बातों से हाईकमान आपको इतना मानते हैं। साफ कह दिया कि उन्हें कैसे भी लेकर आएं। सारे मैटर रवि जी से लिखवाएं। चुनाव जीतते ही आपको एमएलसी बना देंगे-साहित्यकार कोटे पर। चलिए अब चेहरा क्या देख रहे हैं। सीरियस प्रॉब्लम है। हाईकमान आपसे डिस्कस करना चाहते हैं।

कैसी प्रॉब्लम।

वे चिंतित हो गए। फिर बोले, अपोजीशन पार्टी ने एक लेडी को मैदान में उतारा है। लेडी के खिलाफ लेडी कैंडिडेट को उतारना होगा। नहीं तो टांय-टांय फिस।

मैं कागज समेटता हूं। लिखने का मूड खत्म हो गया। भाभी की चीख सुनकर मैं बाहर आया। देखा, आज फिर चूडी वाली बैठी है। भाभी कह रही हैं, जा, रंगीन चूडियां लेकर। किसके लिए खरीदूं? तुझे मालूम है मेरे पति को किसी ने गुप्त सूचना दी थी कि आतंकवादी राघव के घर में छिपे हैं। उसे व उसकी पत्नी को बंदी बना रखा है। डर से राघव कुछ कहता नहीं। वह सामान लाता है, उसकी पत्नी बनाती है। लगता है, हादसा करने की योजना है।

फिर? आश्चर्य से चूडी वाली ने पूछा।

फिर क्या! यह सुनकर मेरे पति का फौजी खून खौल उठा। अलमारी खोली और मेडल्स मुझे देकर अपने सलामत हाथ से जेब में रिवाल्वर रखकर मुझे देखा। तेजी से बाहर निकल गए। बाद में पता चला, राघव व उसकी पत्नी को वहां से निकालने में तो वे सफल हुए, लेकिन अपने प्राण गंवा बैठे। भाभी रोने लगीं..।

चूडी वाली उन्हें चुपचाप, एकटक देखती रही। भाभी ने धीरे से कहा, ये चूडियां नहीं, मेरे लिए कांच की सलीबें हैं। तू सुहागिन है, बेच सुहाग की निशानी कहीं और जाकर।

चूडी वाली बोली, यह सब मुझे पता था। मैं तो गर्व से उठा तुम्हारा सिर देखने आई थी। मैं निर्धन परिवार की हूं, लेकिन गर्व से सिर पर सुहाग की निशानी उठाकर बेचती हूं। जो कुछ कमाती हूं, उसका कुछ हिस्सा जवानों के लिए भेजती हूं। चूडियां मुझे सलीबें नहीं लगतीं।

भाभी ने चौंककर पूछा, तुम विधवा हो? हां। मैं अपने पति से प्यार करती हूं और करती रहूंगी। मैं परमवीर चक्र विजेता शहीद की पत्नी हूं।

चूडी वाली की बात सुनकर नेताजी को मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई। खुशी से उछलकर बोले, अब विपक्षी दल छाती पीट-पीट कर रोएंगे। कहां से यह हीरा खोजकर ले आए। उनकी सीट तो गई रवि बाबू।

फिर चूडी वाली से मुखातिब होकर कहते हैं, बहन, हम तुम्हें चुनाव में खडा करेंगे। सुनो भैया, चूडी वाली धीरे से मुसकराती है, तुम्हारे जैसे लोग देशभक्त नहीं, मौकापरस्त नेता हैं, जो कुर्सी के लिए लडते-लडवाते हैं। अपने गांव-देहात में, अपने ही लोगों से मुझे लडाने की बात करते हो। सीमा पर नहीं तो कम से कम देश के भीतर घुसे आतंकवादियों से लडो। फिर वहां से लौटकर, किसी शहीद की पत्नी को लडवाने की बात सोचना।

वह टोकरी सिर पर रखकर उठने लगती है। भाभी उसका हाथ पकडकर बिठा लेती हैं। फिर बडे प्यार से, अपने दोनों हाथों से उसकी कलाइयां सहलाने लगती हैं। मेरे सामने चार नंगी कलाइयां उसी तरह चमकने लगती हैं, जैसे सीमा पर जमी बर्फ, सूरज की किरणों के पडने से जगमगा उठती हैं, ढेर सारी रंगीन चूडियों की तरह..।

रॉबिन शॉ पुष्प

Friday, November 27, 2009

hi,
Anuj introducing.